Breaking News
पूर्व IPS दलीप सिंह कुँवर बने उत्तराखंड के नए सूचना आयुक्त
उत्तराखंड में श्रमिकों के हितों का विशेष ध्यान रखा जाय- सीएम
सीएम के विकसित उत्तराखंड के संकल्प को साकार करते डीएम सविन 
सोशल मीडिया पर धमाल मचा रहा घिबली ट्रेंड, लेकिन बन सकता है प्राइवेसी के लिए खतरा
अजित कुमार की आगामी फिल्म ‘गुड बैड अग्ली’ की ‘यूएसए’ में शुरू हुई एडवांस बुकिंग, इस दिन होगी रिलीज
उत्तराखंड में सियासी बयानबाजियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी ने खींची लक्ष्मण रेखा
क्या आपका भी है कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई, तो कंट्रोल करने के लिए इन योगासनों का करें अभ्यास
दून के प्रसिद्ध बुक स्टोर सहित कई दुकानों को किया गया सील, जानिए वजह 
चमोली जिला आबकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई पर कर्मचारियों में आक्रोश, न्याय की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी

ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका, पूजा रहेगी जारी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

वाराणसी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी परिसर के ‘व्यास जी के तहखाने’ में पूजा करने की अनुमति देने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने पूजा के आदेश को चुनौती दी थी।जिसपर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ‘आज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया के आदेश की पहली अपील को खारिज कर दिया है जो 17 और 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ निर्देशित की गई थी। आदेश का प्रभाव यह है कि ज्ञानवापी परिसर के ‘व्यास तहखाना’ में चल रही पूजा जारी रहेगी। अगर अंजुमन इंतजामिया सुप्रीम कोर्ट आती है तो हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी कैविएट दाखिल करेंगे।’

कोर्ट ने कहा कि 1937 से लेकर दिसंबर 1993 तक किसी भी वक़्त इस तहखाने पर मुस्लिम पक्ष का अधिकार नहीं रहा। हालांकि हिंदू पक्ष प्रथम दृष्टया 1551 से ही इस जगह पर कब्जे को साबित करने में कामयाब हो रहा है। 1993 तक तहखाने में चल रही पूजा को राज्य सरकार ने बिना किसी लिखित आदेश के गैरकानूनी कार्रवाई करके रोक दिया। आर्टिकल 25 देश के आम नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। इस अधिकार को सरकार मनमाने तरीके से नहीं छीन सकती। तहखाने में पूजा अर्चना करते आये व्यास परिवार को सिर्फ मौखिक आदेश के जरिये पूजा अर्चना के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि 31 जनवरी को दिये जिला जज के आदेश पर ये कहते हुए कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है कि जज ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ऐसा आदेश पास किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top