नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा पर शांति भले ही बहाल हो, लेकिन भारतीय सेना अपनी तैयारियों को मजबूत करने में जुटी है। ऊंचे पहाड़ी इलाकों में युद्ध करने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया हल्के वजन का टैंक ‘जोरावर’ 2025 में परीक्षण के लिए तैयार होगा। इस लाइट बैटल टैंक का निर्माण डीआरडीओ (DRDO) और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) ने मिलकर किया है। महज 25 टन वजन वाला यह टैंक दुर्गम क्षेत्रों में आसानी से तैनात किया जा सकेगा।
हल्के वजन वाले टैंक की आवश्यकता क्यों हुई
2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ गया था। इस दौरान भारतीय सेना ने चीन से लगती सीमा पर अपने मुख्य युद्धक टैंकों को तैनात किया, लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हल्के टैंकों की जरूरत महसूस हुई। चीन ने पहले ही अपने हल्के टैंक LAC पर तैनात कर दिए हैं। इसके जवाब में भारत ने जोरावर टैंक का निर्माण शुरू किया।
जोरावर टैंक की विशेषताएं
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनाए गए इस टैंक का वजन केवल 25 टन है, जिससे इसे पहाड़ी इलाकों में भी तेजी से तैनात किया जा सकता है। इस टैंक पर 105 मिमी की फील्ड गन लगाई गई है, जो दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को तबाह कर सकती है। उन्नत सामग्री से बने इसके बाहरी ढांचे को तोप के गोलों से बचाव के लिए डिज़ाइन किया गया है।
जोरावर टैंक अत्याधुनिक संचार उपकरणों से लैस है, जिससे यह हर परिस्थिति में कमांड सेंटर के संपर्क में रह सकता है। वर्तमान में जोरावर का परीक्षण चल रहा है, और 2025 में सेना इसे वास्तविक हालात में परखेगी। सभी मापदंडों पर खरा उतरने के बाद इसे सेना में शामिल किया जाएगा।