Bharat Samwad https://bharatsamwad.com National News Portal Thu, 21 Nov 2024 05:53:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://bharatsamwad.com/wp-content/uploads/2024/01/cropped-Bharat-Samwad-512x512-1-32x32.png Bharat Samwad https://bharatsamwad.com 32 32 उत्तराखण्ड बन रहा है खिलाड़ियों के लिए अवसरों से भरा प्रदेश- खेल मंत्री रेखा आर्या https://bharatsamwad.com/uttarakhand-is-becoming-a-state-full-of-opportunities-for-players-sports-minister-rekha-arya/ https://bharatsamwad.com/uttarakhand-is-becoming-a-state-full-of-opportunities-for-players-sports-minister-rekha-arya/#respond Thu, 21 Nov 2024 05:53:24 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11114

हरिद्वार। आज प्रदेश सरकार की युवा कल्याण एवं खेल मंत्री रेखा आर्या ने हरिद्वार स्थित प्रेमनगर आश्रम पहुँचकर राष्ट्रीय ग्रेपलिंग प्रतियोगिता में युवा खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया| मंत्री रेखा आर्या ने अपने संबोधन में कहा पहली बार इतने बड़े स्तर पर ग्रेपलिंग से जुड़ी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जोकि प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा अवसर है और इसके लिए मैं ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ़ इंडिया को विशेष धन्यवाद देती हूं।

मंत्री रेखा आर्या ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हमारी सरकारी लगातार खिलाड़ियों के उत्थान और सर्वगीण विकास के लिए कार्य कर रही है, जिसका परिणाम है कि आज खेल को लेकर बड़ा सामाजिक परिवर्तन हुआ है । मंत्री ने कहा पहले लोगों को खेल के क्षेत्र में भविष्य की असुरक्षा महसूस होती थी लेकिन जब से प्रधानमंत्री मोदी द्वार खिलाड़ियों को सम्मानित कर नई पहचान दी गई और राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सीधा संवाद किया जा रहा है इस से प्रोत्साहित हो रहे हैं।

मंत्री रेखा आर्या ने कहा इस सामाजिक परिवर्तन का ही नतीजा है कि आज एक खिलाड़ी लोकल से ग्लोबल हो गया है। अब वो युग आया है जहां एक राष्ट्र की पहचान उसके खिलाड़ी के नाम से होती है । आगे जोड़ते हुए मंत्री ने कहा खेल असंभव नहीं संभवता की ओर जाने वाला सुरक्षित मार्ग है।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा ग्रेपलिंग ने अपने अस्तित्व में आने के इन 3 वर्षों में काफ़ी तरक़्क़ी की हैं और विशेषकर हमारे राष्ट्रीय टीम ने इसमें अपना झंडा पूरा दमखम से लहराया है। खेल मंत्री रेखा आर्या ने खिलाड़ियों को सम्बोधित करते हुए कहा हम सभी ग्रेपलिंग के खिलाड़ियों को भविष्य की प्रतिस्पर्धा के लिए शुभकामनाएँ देते है और उम्मीद करते है कि निकट भविष्य में राष्ट्रीय खेल , एशियन गेम्स व ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों में भी इसको शामिल किया जाए।

मंत्री रेखा आर्या ने ग्रेपलिंग के आयोजन को देवभूमि उत्तराखंड में कराने के लिए ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ़ इंडिया का आभार जताया साथ मंत्री ने कहा आज इस प्रत्योगिता के माध्यम से छोटा भारत देखने को मिला और संपूर्ण भारत से आये बच्चों से संवाद करने का और ग्रैपलिंग के खेल से परिचित होने का अवसर मिला।

खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि हमारी सरकार का प्रयास है की देवभूमि को अब दुनिया खेल भूमि उत्तराखण्ड के नाम से जानें और हम ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ़ उत्तराखण्ड के पदाधिकारियों के संपर्क में और उत्तराखंड के खिलाड़ियों के सुनहरे भविष्य के लिए खेल विभाग उत्तराखण्ड ग्रेपलिंग के लिये हमेशा संभव मदद और मार्गदर्शन के लिए तत्पर रहेगा।

इस कार्यक्रम में खेल मंत्री रेखा आर्या के साथ ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष दिनेश कपूर, सचिव बिरजू शर्मा, सचिव उत्तराखण्ड ग्रेपलिंग राजेंद्र सिंह रावत, उपाध्यक्ष बीरेन्द्र सिंह राठौड़ समेत ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ़ इंडिया के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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क्रेश बैरियरों की खराब स्थिति को लेकर महाराज ने रोष जाहिर किया https://bharatsamwad.com/maharaj-expressed-anger-over-the-poor-condition-of-crash-barriers/ https://bharatsamwad.com/maharaj-expressed-anger-over-the-poor-condition-of-crash-barriers/#respond Thu, 21 Nov 2024 05:12:34 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11111

लोनिवि मंत्री ने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को सड़कों के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के दिए निर्देश

बैठक में राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के नाम से दीवार निर्माण करने के भी दिये निर्देश

देहरादून। चकराता-त्यूनी, उखीमठ-मानसूना-रांसी और प्रदेश के विभिन्न मोटर मार्ग पर स्थित क्रेश बैरियर के कारण सड़कों की चौड़ाई कम होने से वाहनों के पास होने में आ रही समस्या का तत्काल समाधान किया जाये। देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत किए जा रहे नालियों के निर्माण और उसमें ड्रेनेज व्यवस्था का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए। उक्त बात प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने यमुना कालोनी स्थित लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय में आयोजित बैठक के दौरान लोनिवि, बीआरओ, पीएमजीएसवाई और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कही।

बैठक के दौरान लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने विभागीय कार्यों के समीक्षा करते हुए पीएमजीएसवाई एक मुफ्त रखरखाव के अंतर्गत पीएमजीएसवाई से लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित 244 सड़कों की खराब गुणवत्ता और एलाइनमेंट को लेकर रोष व्यक्त किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि पहाड़ों पर पेड़ों के कारण सड़कों पर स्थित साइनेज दिखाई नहीं देते इसलिए उन्हें आई लेवल पर लगाया जाए।

लोनिवि मंत्री महाराज ने अधिकारियों से कहा कि वह ठेकेदारों का भुगतान समय से करें ताकि सड़कों के निर्माण कार्य एवं मरम्मत में किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न न हो। उन्होंने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सड़कों में ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाए और उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी को चित्रित करते हुए प्रमुख स्थान पर एक दीवार का भी निर्माण किया जाए।

महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2024-25 मैं विभिन्न योजनाओं जैसे राज्य योजना और जिला योजना में 118 किमी लम्बाई में मार्गो का नव निर्माण, 580 किमी लंबाई में मार्गो का पुनर्निर्माण और 11 सेतुओं का नवनिर्माण किया गया है। इसके अलावा 11 ग्रामों को सड़क मार्ग से संयोजकता प्रदान की गई है। 2024-25 में 4373 किमी लंबाई के की सापेक्ष 4422 किमी सड़कों पर पैच मरम्मत का लक्ष्य प्राप्त किया गया है।

उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के अंतर्गत 992.38 करोड़ की लागत के 297 स्वीकृत कार्यों के सापेक्ष 144 कार्य पूर्ण किए जा चुके हैं। 78 कार्य प्रगति पर हैं और 67 कार्यों में निविदा की प्रक्रिया चल रही है। बैठक के पश्चात जानकारी देते हुए लोनिवि मंत्री महाराज ने बताया कि केंद्रीय सड़क अवस्थाना निधि सीआर आईएफ के अंतर्गत 2023-24 में 13 मार्गो के सुधारीकरण हेतु 259.01 करोड़ की स्वीकृति प्राप्त की गई है जिसके सापेक्ष समस्त मार्गो में कार्य प्रगति पर है।

बैठक के दौरान लोनिवि सचिव पंकज पांडेय, प्रमुख अभियंता दीपक कुमार यादव, एनएचआई के पंकज मौर्य सहित बीआरओ, पीएमजीएसवाई और स्मार्ट सिटी के अधिकारी सहित लोक निर्माण विभाग के विभाग के अनेक अधिकारी मौजूद थे।

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दूरस्थ क्षेत्र पैठाणी में होगा उच्च शिक्षा को लेकर महामंथन https://bharatsamwad.com/there-will-be-a-great-discussion-about-higher-education-in-the-remote-area-of-paithani/ https://bharatsamwad.com/there-will-be-a-great-discussion-about-higher-education-in-the-remote-area-of-paithani/#respond Thu, 21 Nov 2024 05:01:13 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11108

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. रावत के विधानसभा क्षेत्र में जुटेंगे शिक्षाविद्

उच्च शिक्षा परिषद की बैठक में 23 अहम मुद्दों पर होगी चर्चा

देहरादून। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के दूरस्थ राठ क्षेत्र में पहली बार प्रदेशभर के शिक्षाविद उच्च शिक्षा को लेकर गुरुवार 21 नवम्बर को महामंथन करेंगे। जिसमें नई शिक्षा नीति-2020 के तहत राज्य में उच्च शिक्षा का रोड़मैप तैयार किया जायेगा। इस महामंथन में 23 अहम बिन्दुओं पर चर्चा की जायेगी। इस चर्चा में जो भी निष्कर्ष निकल कर आयेंगे वह उच्च शिक्षा के उन्नयन में अहम भूमिका निभायेंगे।

इस बार राज्य उच्च शिक्षा परिषद की 11वीं बैठक उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में उनके विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर के अंतर्गत सुदूर पैठाणी स्थित राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय में 21 नवम्बर को आयोजित की जा रही है। जिसमें मुख्य सचिव उत्तराखंड सहित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, विभिन्न राजकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, राज्यपाल के सचिव तथा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिये प्रतिष्ठित शिक्षाविद एवं शासन-प्रशासन के नामित प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगे। परिषद की बैठक में लगभग तीन दर्जन अहम बिन्दुओं पर महामंथन होगा।

जिसमें एनईपी-2020, पीएम ऊषा, नैक प्रत्यायन, प्रधानमंत्री जन विकास योजना, मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा शोध प्रोत्साहन योजना, मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति, महाविद्यालयों में पुस्तकालय एवं आईटी लैब की स्थापना, नये भवनों, पुस्तकालयों एवं प्रयोगशालाओं की अद्यतन स्थिति, छात्रावास निर्माण की अद्यतन स्थिति, राज्य के 20 मॉडल कॉलेजों के सुदृढ़ीकरण की स्थिति, राज्य के मेधावी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रोत्साहन हेतु आर्थिक सहायता, राज्य के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों का विभिन्न औद्योगिक ईकाईयों, शोध संस्थानों एवं अकादमिक इकाईयों के साथ अनुबंध के साथ ही एनईपी-2020 की गाइडलाइन के अंतर्गत विभिन्न पाठ्यक्रमों एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन की अद्यतन स्थिति पर चर्चा की जायेगी। इसके अलावा इस महामंथन में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के सुझाव भी लिये जायेंगे, जिससे भविष्य की योजनाओं को लेकर एक ठोस नीति बनाई जायेगी, जोकि उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिये मील का पत्थर साबित होगी।

पर्वतीक्ष राज्य की मूल आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुये उच्च शिक्षा परिषद की बैठक पहली बार दूरस्थ क्षेत्र में आयोजित की जा रही है। इस महामंथन में जो भी तथ्य सामने आयेंगे उसने आधार पर उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिये एक ठोस नीति तैयार की जायेगी। जोकि पर्वतीय क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में भी सहायक साबित होगी।– डॉ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तराखंड सरकार।

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पाकिस्तान की हिमाकत पर कोई हैरानी नहीं https://bharatsamwad.com/there-is-no-surprise-in-pakistans-audacity/ https://bharatsamwad.com/there-is-no-surprise-in-pakistans-audacity/#respond Thu, 21 Nov 2024 04:43:12 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11105

बलबीर पुंज
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भगत सिंह “मुसलमानों के प्रति शत्रुतापूर्ण मजहबी नेताओं से प्रभावित थे और भगत सिंह फाउंडेशन इस्लामी विचारधारा और पाकिस्तानी संस्कृति के खिलाफ काम कर रहा है, (और) इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए।” बकौल रिपोर्ट, “फाउंडेशन के अधिकारी जो खुद को मुस्लिम कहते हैं, क्या वह नहीं जानते कि पाकिस्तान में किसी नास्तिक के नाम पर किसी जगह का नाम रखना अस्वीकार्य है और इस्लाम में मानव मूर्तियां प्रतिबंधित है?”

जो समूह भारत-पाकिस्तान संबंध और ‘सिख-मुस्लिम सद्भावना’ की संभावनाओं पर बल देते है, वह हालिया घटनाक्रम पर क्या कहेंगे? बीते दिनों पाकिस्तानी पंजाब की सरकार ने यह कहते हुए शादमान चौक का नाम शहीद भगत सिंह समर्पित करने की वर्षों पुरानी मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं, बल्कि ‘अपराधी’ और आज की परिभाषा में ‘आतंकवादी’ थे। जैसे ही यह खबर भारत पहुंची, तुरंत विभिन्न राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान को गरियाना शुरू कर दिया। परंतु मुझे पाकिस्तान की इस हिमाकत पर कोई हैरानी नहीं हुई। क्या इस इस्लामी देश से किसी अन्य व्यवहार की उम्मीद की जा सकती है?

लाहौर में जिस स्थान पर 23 मार्च 1931 को महान स्वतंत्रता सेनानियों— भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी, वह जगह शादमान चौक नाम से प्रसिद्ध है। इसी मामले में 8 नवंबर को लाहौर उच्च न्यायालय में सुनवाई थी। तब ‘भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान’ द्वारा अदालत में दायर एक याचिका पर लाहौर प्रशासन ने जवाब देते हुए कहा, “शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा लगाने की प्रस्तावित योजना को पूर्व नौसेना अधिकारी तारिक मजीद की टिप्पणी के आलोक में रद्द कर दिया गया है।” मजीद मामले में गठित समिति का हिस्सा है और उन्होंने कहा था कि भगत सिंह ने एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी, इसलिए उन्हें दो साथियों के साथ फांसी दे दी गई थी।

इसी समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भगत सिंह “मुसलमानों के प्रति शत्रुतापूर्ण मजहबी नेताओं से प्रभावित थे और भगत सिंह फाउंडेशन इस्लामी विचारधारा और पाकिस्तानी संस्कृति के खिलाफ काम कर रहा है, (और) इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए।” बकौल रिपोर्ट, “फाउंडेशन के अधिकारी जो खुद को मुस्लिम कहते हैं, क्या वह नहीं जानते कि पाकिस्तान में किसी नास्तिक के नाम पर किसी जगह का नाम रखना अस्वीकार्य है और इस्लाम में मानव मूर्तियां प्रतिबंधित है?” मामले में अगली सुनवाई 17 जनवरी 2025 को होगी।

पाकिस्तान में भगत सिंह का रिश्ता केवल लाहौर जेल तक सीमित नहीं है। जिस अविभाजित पंजाब के लायलपुर में उनका जन्म हुआ था, वह भी अब पाकिस्तान में है। लाहौर के ही नेशनल कॉलेज में भगत सिंह के अंदर क्रांति के बीज फूटे थे और ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन भी लाहौर में किया था। यदि इस पृष्ठभूमि में पाकिस्तान भगत सिंह को अपना ‘नायक’ मान लेता, तो ऐसा करके वह अपने वैचारिक अस्तित्व, जिसे ‘काफिर-कुफ्र’ अवधारणा से प्रेरणा मिलती है— उसे प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से नकार देता। पाकिस्तानी सत्ता-वैचारिक अधिष्ठान के लिए भगत सिंह भी एक ‘काफिर’ है।

भारतीय उपमहाद्वीप में इस जहरीले चिंतन की जड़ें बहुत गहरी है। गांधीजी ने अली बंधुओं (मौलाना मुहम्मद अली जौहर और शौकत अली) के साथ मिलकर विदेशी खिलाफत आंदोलन (1919-24) का नेतृत्व किया था। परंतु मौलाना मुहम्मद अली जौहर स्वयं गांधीजी के बारे में क्या सोचते थे, यह उनके इस विचार से स्पष्ट है— “गांधी का चरित्र चाहे कितना भी शुद्ध क्यों न हो, मजहब की दृष्टि से वे मुझे किसी भी चरित्रहीन मुसलमान से हीन प्रतीत होते हैं।” बात यदि वर्तमान पाकिस्तान की करें, तो वह विभाजन के बाद अपने दस्तावेजों, स्कूली पाठ्यक्रमों और अपनी आधिकारिक वेबसाइटों में इस बात का उल्लेख करता आया है कि उसकी जड़ें सन् 711-12 में इस्लामी आक्रांता मुहम्मद बिन कासिम द्वारा हिंदू राजा दाहिर द्वारा शासित तत्कालीन सिंध पर किए हमले में मिलती हैं। इसमें कासिम को ‘पहला पाकिस्तानी’, तो सिंध को दक्षिण एशिया का पहला ‘इस्लामी प्रांत’ बताया गया है।

जिन भारतीय क्षेत्रों को मिलाकर अगस्त 1947 में पाकिस्तान बनाया गया था, वहां हजारों वर्ष पहले वेदों की ऋचाएं सृजित हुईं थीं और बहुलतावादी सनातन संस्कृति का विकास हुआ था। इसलिए पुरातत्वविदों की खुदाई में वहां आज भी वैदिक सभ्यता के प्रतीक उभर आते हैं, जिसका इस्लाम में कोई स्थान नहीं है। परंतु पाकिस्तान अपनी छवि सुधारने के नाम पर मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, सिंधु घाटी, आर्य सभ्यता, कौटिल्य और गांधार कला से जोडऩे का प्रयास करता है। इसी वर्ष 29 मई को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था, “पाकिस्तान को अपनी प्राचीन बौद्ध विरासत पर गर्व है।” वास्तव में, यह क्रूरतम मजाक है। जिन इस्लामी आक्रांताओं— कासिम, गजनवी, गौरी, बाबर, टीपू सुल्तान आदि को पाकिस्तान अपना घोषित ‘नायक’ मानता है, जिनके नामों पर उसने अपनी मिसाइलों-युद्धपोतों का नाम रखा है— उन्होंने ही ‘काफिर-कुफ्र’ अवधारणा से प्रेरित होकर भारतीय उपमहाद्वीप में गैर-इस्लामी प्रतीकों (हिंदू-बौद्ध सहित) का विनाश किया था। इस चिंतन में आज भी कोई बदलाव नहीं आया है। जब जुलाई 2020 में खैबर पख्तूनख्वा में निर्माण कार्य के दौरान जमीन से भगवान गौतमबुद्ध की एक प्राचीन प्रतिमा मिली थी, तब स्थानीय मौलवी द्वारा इसे गैर-इस्लामी बताने पर लोगों ने मूर्ति को हथौड़े से तोड़ दिया था।

पाकिस्तानी राष्ट्रगान (कौमी तराना) का मामला और भी दिलचस्प है। वर्ष 1947 में इस्लाम के नाम पर खूनी विभाजन के बाद शेष विश्व के सामने पाकिस्तान को तथाकथित ‘सेकुलर’ दिखाने के लिए मोहम्मद अली जिन्नाह ने हिंदू मूल के उर्दू शायर जगन्नाथ आजाद द्वारा लिखित एक उर्दू गीत को राष्ट्रगान बनाया था। जिन्नाह की मृत्युपर्यंत लगभग डेढ़ वर्ष तक यह पाकिस्तान का राष्ट्रगान रहा। चूंकि इसे ‘काफिर’ हिंदू ने लिखा था, इसलिए इसका पाकिस्तानी नेतृत्व से लेकर आम लोगों ने भारी विरोध किया और इसपर प्रतिबंध लगा दिया। वर्ष 1952 में हाफिज जालंधर द्वारा फारसी भाषा में लिखित गीत को कौमी-तराना बनाना मुकर्रर हुआ। यह स्थिति तब है, जब इस इस्लामी देश की आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा उर्दू-अंग्रेजी है और यहां पंजाबी, सिंधी, पश्तो, बलूची, सराइकी इत्यादि भाषाएं बोली जाती है। फिर भी इसका राष्ट्रगान उस फारसी भाषा में है, जिसे बोलने/समझने वालों की संख्या पाकिस्तान में बेहद सीमित है।

पाकिस्तान में यह हड़बड़ाहट उसके वैचारिक अधिष्ठान के कारण है, जो पिछले 77 वर्षों से अपनी पहचान भारत में जनित और विकसित सांस्कृतिक जड़ों से काटने और मध्यपूर्व-अरब देशों से जोडऩे का असफल प्रयास कर रहा है। इसलिए इस जड़-विहीन पाकिस्तान को उसके इस्लामी होने के बावजूद मध्यपूर्वीय देश, सम्मान या बराबर की नजर से नहीं देखते है। पाकिस्तान में एक बड़े भाग द्वारा शहीद भगत सिंह का विरोध भी अपनी मूल जड़ों को नकारने की विचारधारा से ही प्रेरित है।

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दिल्ली के लिए उत्तराखंड से 310 बसों का होगा संचालन, 194 पर लगा प्रतिबंद https://bharatsamwad.com/310-buses-will-operate-from-uttarakhand-to-delhi-194-banned/ https://bharatsamwad.com/310-buses-will-operate-from-uttarakhand-to-delhi-194-banned/#respond Wed, 20 Nov 2024 12:24:19 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11102

सीएनजी बसों को एक दिन में तीन फेरे करने के दिए निर्देश

देहरादून। दिल्ली में पुरानी बीएस-4 डीजल बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध के चार दिन बाद भी कोई समाधान नहीं तलाश सके उत्तराखंड परिवहन निगम को इस संकट से निकालने की कमान सरकार ने अपने हाथ में संभाल ली है। राज्य सरकार ने एक्शन-प्लान के अंतर्गत परिवहन निगम को वर्तमान में दिल्ली के लिए अनुमन्य सुपर डीलक्स बीएस-6 वोल्वो, बीएस-6 साधारण और अनुबंधित सीएनजी बसों को एक दिन में तीन फेरे (डेढ़ ट्रिप) संचालित करने के निर्देश दिए हैं।

निगम के पास ऐसी 12 वोल्वो और 180 अनुबंधित सीएनजी साधारण और 77 बीएस-6 डीजल साधारण नई बसें हैं, जो दिल्ली जा रही हैं। इसके अलावा, 41 बसें बीएस-6 डीजल अनुबंधित भी हैं, जो स्थानीय मार्गों पर चल रही थी, उन्हें भी अब दिल्ली भेजा जा रहा है। राज्य सरकार ने निगम को 175 नई बसों की खरीद प्रक्रिया भी शीघ्र करने के निर्देश दिए हैं।शनिवार से लागू प्रतिबंध से पूर्व दिल्ली के लिए उत्तराखंड से 504 बसें नियमित दिल्ली जा रही थी, जिनमें 40 से 45 हजार यात्री प्रतिदिन आवागमन कर रहे थे। वर्तमान में 310 बसें ही जैसे-जैसे दिल्ली जा पा रही हैं और शेष 194 बसें खड़ी हो गई हैं।

प्रतिबंध से पहले निगम की 53 वोल्वो बसों में से 45 दिल्ली मार्ग पर संचालित हो रही थी। अकेले देहरादून से ही 27 बसें दिल्ली जबकि दो बसें गुरुग्राम जा रही थी। अब यह संख्या मात्र 12 रह गई है, जिसमें आठ देहरादून से चल रही हैं। इन बसों की ऑनलाइन टिकट बुकिंग फिर खोलने के साथ राज्य सरकार ने गत फरवरी में बोर्ड बैठक में स्वीकृत 100 सीएनजी व 75 डीजल बीएस-6 नई बड़ी बसों की खरीद त्वरित निविदा के अंतर्गत करने के निर्देश भी दिए।

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पर्यटन मंत्री ने उत्तराखंड यात्रा विकास प्राधिकरण के गठन पर त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए https://bharatsamwad.com/tourism-minister-gave-instructions-to-take-immediate-action-on-the-formation-of-uttarakhand-travel-development-authority/ https://bharatsamwad.com/tourism-minister-gave-instructions-to-take-immediate-action-on-the-formation-of-uttarakhand-travel-development-authority/#respond Wed, 20 Nov 2024 11:01:22 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11099

जीएमवीएन-केएमवीएन के एकीकरण में शीघ्रता लायी जाये- महाराज

विभागीय बैठक में पर्यटन अधिकारियों को मंत्री के निर्देश

देहरादून। उत्तराखंड यात्रा विकास प्राधिकरण के गठन हेतु त्वरित कार्यवाही की जाए। जनपद रुद्रप्रयाग स्थित दूरस्थ गांव ब्यूंखी को पर्यटन ग्राम बनाने के अलावा नाथ सर्किट, पांडव सर्किट, विवेकानंद सर्किट और रविंद्र नाथ टैगोर सर्किट बनाने की कार्यवाही भी प्रारंभ की जाए।

उक्त बात प्रदेश पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बुधवार को गढी कैंट स्थित पर्यटन विकास परिषद में आयोजित बैठक में पर्यटन विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कही। उन्होंने गढ़वाल मंडल विकास निगम एवं कुमाऊँ मंडल विकास निगम के एकीकरण के संबंध में भी तत्काल कार्यवाही के निर्देश देते हुए महासू देवता के मास्टर प्लान की स्थिति की भी समीक्षा की।

बैठक के दौरान प्रदेश के पर्यटन मंत्री महाराज ने पर्यटन अधिकारियों को निर्देश दिए कि टनकपुर होते हुए जनकपुर नेपाल के लिए रघुनाथ जी की यात्रा और पशुपतिनाथ से त्रियुगीनारायण तक शंकर की बारात के आयोजन हेतु संस्कृति विभाग के साथ मिलकर तैयारियां की जाएं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से आपसी सद्भाव बढ़ाने के साथ-साथ भारत-नेपाल संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। उन्होंने जनपद रुद्रप्रयाग स्थित प्राचीन मनणामाई मंदिर के स्थलीय विकास किए जाने के निर्देश देते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (एसआई) संरक्षित मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं मरम्मत हेतु नियमों में शिथिलता बरतने हेतु भारत सरकार से वार्ता करने की भी बात कही। ज्ञात हो कि एएसआई के कड़े प्रावधानों के चलते संरक्षित मंदिरों की 100 मीटर की परिधि में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर पाबंदी है जिस कारण पौराणिक मंदिरों का स्थलीय विकास एवं जीणोद्धार नहीं हो पा रहा है।

बैठक के दौरान पर्यटन मंत्री ने कहा कि विदेश भ्रमण के दौरान विभिन्न स्थानों पर यात्रा के दौरान नगद धनराशि देने का प्रावधान नहीं है इसलिए विदेश भ्रमण के दौरान ट्रैवल कार्ड के प्राविधान होना चाहिए। उन्होंने कालीमठ मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि मंदिर की सीढ़ियां काफी खड़ी हैं जिससे वहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है इसलिए सीढ़ी के स्टेप को छोटा करने के साथ-साथ बुजुर्गों और दिव्यांगों को मंदिर तक जाने के लिए व्हील चेयर ले जाने के लिए भी व्यवस्था करना बेहद जरूरी है।

बैठक के दौरान पर्यटन सचिव सहित विभाग के अनेक अधिकारी मौजूद थे।

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बागी 4 से टाइगर श्रॉफ का खूंखार फर्स्ट लुक आउट, रिलीज डेट भी अनाउंस https://bharatsamwad.com/tiger-shroffs-fierce-first-look-from-baaghi-4-is-out-release-date-also-announced/ https://bharatsamwad.com/tiger-shroffs-fierce-first-look-from-baaghi-4-is-out-release-date-also-announced/#respond Wed, 20 Nov 2024 10:38:54 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11096

टाइगर श्रॉफ की बागी 4 की रिलीज डेट का अनाउंसमेंट हो चुका है वो भी एक खतरनाक पोस्टर के साथ। जिसमें टाइगर श्रॉफ खूंखार अवतार में नजर आ रहे हैं। हाल ही में टाइगर ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर बागी 4 का नया पोस्टर रिलीज किया. इसके साथ ही उन्होंने अपनी अपकमिंग फिल्म की रिलीज डेट भी अनाउंस कर दी. इस फ्रेंचाइजी की तीनों फिल्में हिट रही हैं।

नए पोस्टर में टाइगर श्रॉफ एक नए और खूंखार अवतार में नजर आ रहे हैं. उनके लुक से लग रहा है कि बागी 4 फुल ऑफ एक्शन से भरपूर होने वाली है। पोस्टर में टाइगर हाथ में चाकू और पास में शराब की बोतल लिए टॉयलेट सीट पर बैठे नजर आ रहे हैं. उनका चेहरा, दीवारें और फर्श खून से लथपथ हैं, टाइगर का लुक देखते ही फैंस सरप्राईज हो गए क्योंकि इस अवतार में दर्शकों ने टाइगर को कभी नहीं देखा। टाइगर ने पोस्ट को कैप्शन दिया, एक गहरी भावना, एक खूनी मिशन, इस बार वह वैसा नहीं है। साजिद नाडियाडवाला की बागी 4।

नए पोस्टर के साथ टाइगर ने बागी 4 की रिलीज डेट भी अनाउंस कर दी है. फिल्म 5 सितंबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। बागी फ्रेंचाइजी की शुरुआत 2016 में पहली फिल्म की रिलीज के साथ हुई, जिसका निर्देशन सब्बीर खान ने किया था. एक हाई-ऑक्टेन एक्शन थ्रिलर, बागी कुछ हद तक 2004 की तेलुगु फिल्म वर्शम और 2011 की इंडोनेशियाई फिल्म द रेड: रिडेम्पशन से प्रेरित थी। फिल्म में टाइगर श्रॉफ, श्रद्धा कपूर और सुधीर बाबू ने काम किया था. जिसके बाद इसका सीक्वल, बागी 2, 2018 में आया जिसे अहमद खान ने निर्देशित किया था ये तेलुगु फिल्म क्षणम की रीमेक थी। इसमें टाइगर के साथ दिशा पटानी, मनोज बाजपेयी, रणदीप हुडा और अन्य कलाकार शामिल थे. तीसरी फिल्म बागी 3 (2020) को भी अहमद खान ने निर्देशित किया था। इसमें टाइगर, रितेश देशमुख और श्रद्धा कपूर लीड रोल में थे।

वर्कफ्रंट की बात करें तो टाइगर को हाल ही में सिंघम अगेन में देखा गया जिसमें अजय देवगन लीड रोल में थे. ये एक मल्टी स्टारर फिल्म थी जिसमें अक्षय कुमार, रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, अर्जुन कपूर, करीना कपूर जैसे कलाकार नजर आए।

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अखिलेश यादव ने उत्तराखंड के विकास पर उठाए सवाल, कहा भाजपा नेता मां गंगा की गंदगी के जिम्मेदार  https://bharatsamwad.com/akhilesh-yadav-raised-questions-on-the-development-of-uttarakhand-said-bjp-leaders-are-responsible-for-the-pollution-of-maa-ganga/ https://bharatsamwad.com/akhilesh-yadav-raised-questions-on-the-development-of-uttarakhand-said-bjp-leaders-are-responsible-for-the-pollution-of-maa-ganga/#respond Wed, 20 Nov 2024 09:43:22 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11093

अग्निवीर फौजी को सम्मान दिलाने वाली नहीं, बल्कि सम्मान छीनने वाली योजना है – अखिलेश यादव 

भाजपा की मुनाफाखोरी और चंदा वसूली की वजह से बढ़ रही महंगाई – अखिलेश यादव 

हरिद्वार मां गंगा की स्वच्छता को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने उत्तराखंड के विकास पर सवाल उठाए। कहा, मां गंगा के नाम की कसम खाने वाले भाजपा के नेता आज गंगा की गंदगी के जिम्मेदार हैं। श्रवणनाथ नगर स्थित होटल में ठहरे अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा, आज कोई भी भाजपाई नाले और सीवर से दूषित हो रही गंगा का आचमन नहीं कर सकता है। भाजपा सरकारों को अपनी सबसे ज्यादा नापसंद बताते हुए कहा, अपने कार्यकाल में उन्होंने हल्द्वानी के लिए फोरलेन बनाई, लेकिन सरकार आज तक हाईवे के उस हिस्से को नहीं बना सकी जो इनके हिस्से में है।

यूपी विस के उपचुनाव में भाजपा की 100 फीसदी हार का दावा करते हुए कहा, अग्निवीर योजना का यहां के युवाओं को विरोध करना चाहिए। योजना फौजी को सम्मान दिलाने वाली नहीं, बल्कि सम्मान छीनने वाली योजना है। कहा, जीएसटी व्यापार को आसान करने के लिए थी, लेकिन भाजपा ने इसे ऐसा बना दिया कि आम व्यापारी इससे परेशान हो रहे हैं। कहा, भाजपा के खास लोगों को इससे ज्यादा मुनाफा हो रहा है। भाजपा की मुनाफाखोरी और चंदा वसूली की वजह से महंगाई बढ़ रही है।

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पानी पीने के बाद भी लगी रहती है प्यास? कहीं ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत तो नहीं https://bharatsamwad.com/do-you-still-feel-thirsty-even-after-drinking-water-is-this-a-sign-of-some-serious-disease/ https://bharatsamwad.com/do-you-still-feel-thirsty-even-after-drinking-water-is-this-a-sign-of-some-serious-disease/#respond Wed, 20 Nov 2024 09:07:11 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11090

क्या पानी पीने के बावजूद आपकी प्यास नहीं बुझ रही, बार-बार प्यास लगी रहती है, हाइड्रेशन महसूस होता रहता है। अगर ऐसा है, तो ये सामान्य नहीं बल्कि किसी गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है, प्यास लगना सामान्य होता है, लेकिन अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है, तो ये शरीर में कुछ गड़बड़ होने का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं कि पानी पीने के बाद भी प्यास लगने से किन-किन बीमारियों का खतरा होता है…

पानी पीने के बाद बार-बार क्यों लगती है प्यास

1. पॉलीडिप्सिया
पानी हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। प्यास लगना एक नॉर्मल प्रक्रिया है लेकिन अगर बार-बार प्यास लग रही है तो ये पॉलीडिप्सिया की कंडीशन हो सकता है.पॉलीडिप्सिया में प्यास कई दिनों, हफ़्तों या महीनों तक काफी ज्यादा बनी रह सकती है। इसमें पानी पीने के बावजूद प्यास बुझती नहीं है।

2. डायबिटीज इन्सिपिडस
डायबिटीज इन्सिपिडस  की समस्या में भी प्यास बार-बार लगती रहती है। पानी पीने के बावजूद प्यास महसूस होती रहती है. इस बीमारी में किडनी और इससे जुड़ी ग्रंथियों के साथ ही हार्मोन भी प्रभावित होते है। इसकी वजह से यूरीन ज्यादा निकल सकता है. जिसकी वजह से बार-बार प्यास लग सकती है।

3. हाइपोकैलिमिया
जब खून में पोटैशियम की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है तो हाइपोकैलिमिया की कंडीशन होती है। इसके मरीजों को बार-बार और ज्यादा प्यास लगती है. उल्टी-दस्त, कुछ दवाओं को खाने से पोटैशियम का लेवल प्रभावित हो सकता है। अगर ये समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो ज्यादा प्यास लग सकती है।

शरीर के इन संकेतों को न करें इग्नोर
प्यास लगने का मतलब शरीर बताता है कि उसमें लिक्विड की कमी हो गई है. सामान्य परिस्थितियों में पानी पीने के बाद प्यास दूर हो जाती है। अगर पानी पीने के बाद भी प्यास महसूस हो रही है तो गंभीर समस्याओं का संकेत है. इसे लेकर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. सामान्य तौर पर एक दिन में तीन-चार लीटर पानी तो पीना ही चाहिए. बहुत ज्यादा पानी पीना भी हानिकारक हो सकता है।

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पंच केदार में द्वितीय मद्महेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद https://bharatsamwad.com/the-doors-of-the-second-madmaheshwar-temple-in-panch-kedar-closed-for-winter/ https://bharatsamwad.com/the-doors-of-the-second-madmaheshwar-temple-in-panch-kedar-closed-for-winter/#respond Wed, 20 Nov 2024 07:09:34 +0000 https://bharatsamwad.com/?p=11087

बाबा मद्महेश्वर की डोली ने ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए किया प्रस्थान 

रुद्रप्रयाग। पंच केदार में द्वितीय मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज बुधवार को शुभ लग्न पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बाबा मद्महेश्वर की डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल पंचकेदार ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। 25 नवंबर को डोली शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी।

बाबा मद्महेश्वर की डोली के अपने मंदिर से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर आगमन पर स्वयं केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग मंगोलचारी पहुंचकर डोली की अगवानी करते हैं। इस वर्ष 22 मई से शुरू हुई द्वितीय केदार की यात्रा में अभी तक 20 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। कपाट बंद होने के साथ ही डोली अपने पहले रात्रि प्रवास गौंडार गांव पहुंचेगी। अगले दिन रांसी फिर गिरीया गांव में रात्रि प्रवास करेगी। 25 को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।

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