Breaking News
युवक के पेट में किरच मारकर की हत्या, पिता-पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज
डिजाइनर सूट पहन रकुल प्रीत सिंह ने दिखाई दिलकश अदाएं, एक्ट्रेस की हॉटनेस देख फैंस हुए घायल
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लाओ पीडीआर में जापानी और फिलीपीन रक्षा मंत्रियों से की मुलाकात
38वें राष्ट्रीय खेलों के दृष्टिगत शासन ने जारी किया संशोधित शासनादेश
ट्रक और इनोवा की टक्कर से छह युवाओं की दर्दनाक मौत के मामले में कंटनेर ड्राइवर की हुई पहचान, जल्द होगी गिरफ्तारी 
भारतीय संस्कृति और परंपराएं गुयाना में फल-फूल रही हैं- प्रधानमंत्री
गंगा किनारे अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने वाले युवक- युवती पर मुकदमा दर्ज 
ठंड में घुटने के दर्द से परेशान हैं? राहत पाने के लिए रोजाना 15 मिनट करें ये एक्सरसाइज
….तो अब मसूरी को मिलेगी जाम के झाम से निजात

संस्कृति मंत्री महाराज ने लोकपर्व ‘हरेला’ पर किया वृक्षारोपण

हरेला पर उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी किया प्रतिभाग

देहरादून। प्रदेश के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने लोकपर्व ‘हरेला’ पर उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद के तत्वाधान में आयोजित हरियाली महोत्सव के अंतर्गत वृक्षारोपण एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के साथ-साथ न्यू एरा एकेडमी में भी हरेला कार्यक्रम का बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शुभारंभ किया।

प्रदेश के संस्कृति, पर्यटन, धर्मस्व, लोक निर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेश के संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने लोकपर्व ‘हरेला’ पर उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद के तत्वाधान में रिस्पना पुल स्थित संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह परिसर में आयोजित हरियाली महोत्सव के अंतर्गत वृक्षारोपण एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभाग कर वृक्षारोपण करने के साथ-साथ शिमला बाईपास रोड साई लोक कॉलोनी स्थित न्यू एरा एकेडमी में भी हरेला कार्यक्रम का बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मनाया जाने वाला लोकपर्व ‘हरेला’ सावन के आने का संदेश है। इस पर्व के पीछे फसल लहलहाने की कामना है, खुशहाली का आशीष है, बुजुर्गों का आर्शीवाद है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व पर होने वाले पौधारोपण अभियान को एक व्यापक जनांदोलन के रूप में लिया। हरेला चैत्र माह में फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। जबकि श्रावण माह में इसे हरियाली और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार अश्विन माह में इसे सर्दियों के आगमन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

महाराज ने कहा कि हरेला के दिन लोग एक छोटे बर्तन या टोकरी में पांच से सात प्रकार के अनाज के बीज बोते हैं और नौ दिनों तक उनकी पूजा करते हैं। दसवें दिन, वे अंकुरित अनाज काटते हैं और उन्हें सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक के रूप में पहनते हैं। लोग इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा भी करते हैं। यह किसानों के लिए एक शुभ दिन माना जाता है, क्योंकि यह वह दिन है जब वे अपने खेतों में बुवाई का चक्र शुरू करते हैं।

संस्कृति मंत्री महाराज ने हरेला पर्व पर प्रदेशवासियों से अधिक से अधिक पौधे लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें हर अवसर पर वृक्षारोपण करना चाहिए।

इस अवसर पर उत्तराखंड संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट अनेक विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ न्यू एरा एकेडमी में आयोजित हरेला कार्यक्रम में भी स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग और छात्र, छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top